भारत की रक्षा क्रांति: स्वदेशीकरण नीतियों ने कैसे देश को बनाया आत्मनिर्भर?

webmaster

방산기술 국산화 정책 분석 - **Prompt for Indigenous Defense Manufacturing Prowess (Make in India)**
    "A vibrant, high-angle s...

नमस्ते मेरे प्यारे पाठकों! आप सब कैसे हैं? मैं अक्सर सोचता हूँ कि एक मजबूत और सुरक्षित राष्ट्र बनने के लिए क्या सबसे जरूरी है?

मेरा दिल कहता है, अपनी सुरक्षा खुद करना! कुछ समय पहले तक तो हमारी स्थिति ऐसी थी कि हमें अपने बहुत से रक्षा उपकरण दूसरे देशों से खरीदने पड़ते थे, और यह बात मुझे हमेशा थोड़ी खटकती थी.

पर दोस्तों, पिछले कुछ सालों में जो बदलाव मैंने अपनी आँखों से देखे हैं, वो अविश्वसनीय हैं! भारत ने ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत रक्षा प्रौद्योगिकी के स्वदेशीकरण की जो ठानी है, उसने तो सचमुच इतिहास रच दिया है.

आज हमारे वैज्ञानिक और इंजीनियर मिलकर ऐसे अत्याधुनिक हथियार और तकनीकें बना रहे हैं, जो हमें किसी से कम नहीं खड़ा होने देतीं. ड्रोन से लेकर मिसाइलों तक, सब कुछ अब ‘मेड इन इंडिया’ है!

मैंने खुद महसूस किया है कि यह केवल हथियार बनाने की बात नहीं, बल्कि लाखों युवाओं के लिए रोजगार के नए दरवाजे खोलने और हमारी अर्थव्यवस्था को एक नई रफ्तार देने का भी जरिया है.

यकीन मानिए, 2029 तक हम रक्षा उत्पादन में 3 लाख करोड़ रुपये और निर्यात में 50,000 करोड़ रुपये का विशाल लक्ष्य हासिल करने की दिशा में तेजी से बढ़ रहे हैं, जो हमें विश्व स्तर पर एक बड़ी शक्ति बना देगा.

यह सफर आसान नहीं रहा, कई चुनौतियाँ भी आईं, पर हमारा संकल्प अटूट है. आखिरकार, इस आत्मनिर्भरता की नीति ने हमारे देश को कितना मजबूत किया है और आगे क्या उम्मीदें हैं?

आइए, इस बारे में विस्तार से जानने के लिए नीचे लेख में चलते हैं!

सोचिए, हम भारतवासियों के लिए इससे बढ़कर खुशी की बात क्या होगी कि अब हमें अपनी सुरक्षा के लिए दूसरे देशों की तरफ ताकना नहीं पड़ता! मेरा दिल तो इस बात से खुशी से झूम उठता है कि कैसे ‘मेक इन इंडिया’ पहल ने हमारे रक्षा क्षेत्र को पूरी तरह से बदल दिया है। जो देश कभी हथियारों का सबसे बड़ा आयातक माना जाता था, आज वही 100 से भी ज़्यादा देशों को अपने बने हुए रक्षा उपकरण बेच रहा है। यह तो एक सपने जैसा लगता है, पर यह हमारी आँखों के सामने सच हो रहा है!

पिछले कुछ सालों में मैंने खुद महसूस किया है कि सरकार ने सिर्फ नीतियां नहीं बनाईं, बल्कि उन्हें ज़मीन पर उतारने के लिए दिन-रात मेहनत की है।

आत्मनिर्भर भारत: रक्षा में बढ़ता हमारा दम

방산기술 국산화 정책 분석 - **Prompt for Indigenous Defense Manufacturing Prowess (Make in India)**
    "A vibrant, high-angle s...

स्वदेशी उत्पादन में उछाल: एक नया अध्याय

सच कहूं तो, जब मैं छोटे था, तब अक्सर सुनता था कि भारत को अपने टैंक, हवाई जहाज और बंदूकें भी बाहर से मंगवानी पड़ती हैं। यह बात मुझे हमेशा थोड़ी उदास कर देती थी। पर आज, जब मैं देखता हूं कि हमारे देश में ब्रह्मोस मिसाइल से लेकर लड़ाकू विमान ‘तेजस’ तक सब कुछ बन रहा है, तो मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। सरकार ने ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी पहलों से कमाल कर दिया है। वित्त वर्ष 2014-15 में हमारा रक्षा उत्पादन सिर्फ 46,429 करोड़ रुपये था, जो वित्त वर्ष 2023-24 में रिकॉर्ड 1.27 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। यह 174% की शानदार वृद्धि है!

क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि यह कितना बड़ा बदलाव है? मेरा मानना है कि यह सिर्फ आंकड़े नहीं हैं, बल्कि लाखों भारतीय इंजीनियरों और कामगारों की कड़ी मेहनत और समर्पण का फल है। उन्होंने साबित कर दिया है कि हमारे पास दुनिया के बेहतरीन रक्षा उपकरण बनाने की क्षमता है। अब हम अपनी ज़रूरतों के लिए किसी और पर निर्भर नहीं हैं, बल्कि खुद ही अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर रहे हैं।

निजी क्षेत्र का बढ़ता योगदान: साझेदारी की नई राहें

मुझे याद है, एक समय था जब रक्षा उत्पादन सिर्फ सरकारी कंपनियों के हाथ में था। लेकिन आज तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है! मुझे बहुत खुशी है कि सरकार ने निजी क्षेत्र को इस बड़े काम में शामिल करने के लिए दरवाजे खोल दिए हैं। ‘रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (DAP) 2020’ जैसी नीतियों ने घरेलू खरीद को प्राथमिकता दी है, जिससे निजी कंपनियों को बड़े-बड़े कॉन्ट्रैक्ट मिल रहे हैं। क्या आप जानते हैं कि वित्त वर्ष 2024-25 में रक्षा उत्पादन में निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़कर 23% हो गई है?

यह कोई छोटी बात नहीं है! यह दिखाता है कि सरकार ने सिर्फ बातें नहीं कीं, बल्कि छोटे और बड़े उद्योगों को एक साथ काम करने का मौका दिया है। मैंने खुद देखा है कि कैसे छोटे-छोटे स्टार्टअप्स और MSMEs भी इस क्षेत्र में नए-नए आविष्कार कर रहे हैं। ‘इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस (iDEX)’ जैसी योजनाओं ने तो युवाओं को एक नया मंच दिया है, जहां वे अपने रोबोटिक सिस्टम, ड्रोन और AI-आधारित समाधानों से देश की रक्षा को मजबूत कर रहे हैं। यह केवल हथियार बनाने की बात नहीं, बल्कि एक ऐसा इकोसिस्टम बनाने की बात है जहाँ प्रतिभा और नवाचार को पूरा सम्मान मिलता है।

वैश्विक पटल पर भारत: एक विश्वसनीय रक्षा साझेदार

रक्षा निर्यात में अभूतपूर्व वृद्धि: हमारी नई पहचान

कभी सोचता था कि हम सिर्फ दूसरे देशों से हथियार खरीदते रहेंगे, पर आज देखिए, भारत 100 से भी ज़्यादा देशों को रक्षा उपकरण निर्यात कर रहा है! मेरा दिल तो तब और भी खुश हो गया जब मैंने सुना कि वित्त वर्ष 2013-14 में हमारा रक्षा निर्यात सिर्फ 686 करोड़ रुपये था, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 21,083 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। यह 30 गुना से भी ज़्यादा की वृद्धि है!

क्या यह किसी चमत्कार से कम है? हम अब बुलेटप्रूफ जैकेट, डोर्नियर DO-228 विमान, चेतक हेलीकॉप्टर और इंटरसेप्टर नौकाएं जैसे अत्याधुनिक उपकरण निर्यात कर रहे हैं। मुझे गर्व है कि अब हमारे उत्पाद दुनिया भर में विश्वसनीय और मजबूत माने जा रहे हैं। अमेरिका, फ्रांस और आर्मेनिया जैसे देश हमारे शीर्ष खरीदार बन गए हैं। यह दिखाता है कि हमारी गुणवत्ता और विश्वसनीयता पर दुनिया को कितना भरोसा है।

अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और रणनीतिक साझेदारी: नए क्षितिज

भारत अब केवल अपने लिए ही हथियार नहीं बना रहा, बल्कि दुनिया के साथ मिलकर काम भी कर रहा है। यह एक ऐसा बदलाव है जिसे देखकर मुझे बहुत उम्मीद मिलती है। ‘मेक इन इंडिया’ पहल ने हमें एक विश्वसनीय वैश्विक रक्षा भागीदार के रूप में स्थापित किया है। हमने अब फ्रांस के साथ मिलकर पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के लिए इंजन बनाने की योजना बनाई है। सोचिए, यह कितना बड़ा कदम है!

DRDO जैसी हमारी संस्थाएं भी अब विदेशी सुविधाओं पर अपनी निर्भरता कम कर रही हैं और चालाकेरे में ₹1600 करोड़ की लागत से एक एकीकृत रक्षा अनुसंधान ‘ऑल्टीट्यूड टेस्ट फैसिलिटी’ बना रही हैं, जो हमें जेट इंजनों और मिसाइलों का उच्च-ऊंचाई वाला परीक्षण अपने देश में ही करने की क्षमता देगी। यह सब दिखाता है कि हम सिर्फ टेक्नोलॉजी लेने वाले नहीं, बल्कि देने वाले भी बन रहे हैं। यह सिर्फ व्यापार नहीं, बल्कि आपसी विश्वास और रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने का एक बेहतरीन तरीका है।

Advertisement

आर्थिक विकास और रोजगार के अवसर: सशक्तिकरण की लहर

लाखों युवाओं के लिए नए रास्ते: एक उज्ज्वल भविष्य

जब मैं ‘मेक इन इंडिया’ की बात करता हूं, तो मेरे दिमाग में सबसे पहले हमारे युवा आते हैं। मुझे पता है कि जब हमारे देश में रक्षा उपकरण बनते हैं, तो लाखों लोगों को रोजगार मिलता है। यह सिर्फ फैक्ट्रियों में काम करने वाले लोग नहीं, बल्कि डिजाइन, रिसर्च, मार्केटिंग और कई अन्य क्षेत्रों में भी अवसर पैदा करता है। रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता से हमारी अर्थव्यवस्था को भी बहुत फायदा हो रहा है। यह राजकोषीय घाटे को कम करता है और कीमती विदेशी मुद्रा बचाता है, जो पहले आयात पर खर्च होती थी। मुझे याद है, एक बार मेरे एक दोस्त ने बताया था कि उसके छोटे भाई को रक्षा क्षेत्र से जुड़ी एक स्टार्टअप में नौकरी मिली है, जहां वे ड्रोन तकनीक पर काम कर रहे हैं। यह सुनकर मुझे कितनी खुशी हुई थी!

यह दिखाता है कि यह सिर्फ सरकार का काम नहीं, बल्कि हम सब का काम है, जो हमारे युवाओं के लिए एक बेहतर भविष्य बना रहा है।

तकनीकी नवाचार और अनुसंधान: ज्ञान का विस्तार

आप मानेंगे नहीं, जब मैं भारत की नई रक्षा तकनीकों के बारे में पढ़ता हूं, तो मुझे लगता है कि हम किसी से कम नहीं हैं। हमारे वैज्ञानिक और इंजीनियर AI-संचालित निगरानी रोबोट, स्काईस्ट्राइकर लोइटरिंग म्यूनिशन और साइबर युद्ध जैसी अत्याधुनिक तकनीकों पर काम कर रहे हैं। ‘iDEX’ और ‘टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फंड (TDF)’ जैसी योजनाएं स्टार्टअप्स और MSMEs को नए-नए विचार लाने और उन्हें हकीकत में बदलने के लिए प्रेरित कर रही हैं। मुझे लगता है कि यह सिर्फ रक्षा के लिए ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य सेवा, अंतरिक्ष अन्वेषण और विनिर्माण जैसे अन्य क्षेत्रों में भी नई संभावनाएं खोलता है। यह हमारे देश को सिर्फ रक्षा में ही नहीं, बल्कि तकनीकी रूप से भी एक अग्रणी राष्ट्र बना रहा है। मैं तो हमेशा यही मानता हूं कि जब हम खुद रिसर्च और डेवलपमेंट पर ध्यान देते हैं, तो हम सिर्फ आज की जरूरतें नहीं पूरी करते, बल्कि कल के लिए भी मजबूत नींव रखते हैं।

लक्ष्य 2029: एक मजबूत और समृद्ध भारत

Advertisement

विशाल लक्ष्यों की ओर अग्रसर: हमारी प्रतिबद्धता

दोस्तों, सरकार ने 2029 तक रक्षा उत्पादन में 3 लाख करोड़ रुपये और निर्यात में 50,000 करोड़ रुपये का विशाल लक्ष्य रखा है। यह कोई छोटा लक्ष्य नहीं है, पर मुझे पूरा विश्वास है कि हम इसे हासिल कर सकते हैं। जिस तरह से हम पिछले कुछ सालों में आगे बढ़े हैं, वह अविश्वसनीय है। मैं तो अक्सर सोचता हूं कि अगर हम इसी रफ्तार से चलते रहे, तो हमारा देश कितनी ऊंचाइयों को छू सकता है। यह सिर्फ रक्षा मंत्री के बयान नहीं, बल्कि हमारे वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, कामगारों और हर उस भारतीय के सपने हैं जो एक मजबूत और सुरक्षित भारत देखना चाहता है। सरकार ने घरेलू कंपनियों से खरीद के लिए अपने आधुनिकीकरण बजट का 75% हिस्सा भी निर्धारित किया है, जो लगभग 1.11 लाख करोड़ रुपये है। यह दिखाता है कि सरकार का इरादा कितना मजबूत है!

नीतियां और सुधार: सफलता की कुंजी

मुझे लगता है कि हमारी सरकार ने बहुत समझदारी से काम किया है। उन्होंने सिर्फ उत्पादन बढ़ाने पर ही ध्यान नहीं दिया, बल्कि ऐसी नीतियां भी बनाईं जिससे पूरा इकोसिस्टम मजबूत हो। ‘सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची’ जैसी पहल, जिसमें 5,500 से ज़्यादा वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, ने घरेलू उद्योगों के लिए एक सुनिश्चित मांग पैदा की है। ‘रक्षा औद्योगिक गलियारे’ बनाए गए हैं, जो निजी निवेश को आकर्षित करते हैं और विनिर्माण को बढ़ावा देते हैं। FDI सीमा को 74% तक बढ़ाना भी एक बड़ा कदम है, जिससे विदेशी कंपनियों को भारत में निवेश करने और तकनीक हस्तांतरित करने के लिए प्रोत्साहन मिलता है। यह दिखाता है कि हम सिर्फ आत्मनिर्भर नहीं बन रहे, बल्कि दुनिया के साथ मिलकर भी आगे बढ़ रहे हैं। यह एक ऐसा माहौल है जहां हर कोई, चाहे वह छोटा कारोबारी हो या बड़ी कंपनी, देश की सुरक्षा में अपना योगदान दे सकता है।

रक्षा बजट और वित्तीय प्रावधान: मजबूत नींव

방산기술 국산화 정책 분석 - **Prompt for India as a Global Defense Exporter and Partner**
    "An dynamic scene at a busy intern...

बढ़ता रक्षा बजट: राष्ट्र की सुरक्षा प्राथमिकता

आप सब जानते हैं कि किसी भी देश की सुरक्षा के लिए मजबूत बजट कितना जरूरी है। मुझे यह जानकर बहुत खुशी होती है कि भारत सरकार रक्षा पर लगातार अधिक खर्च कर रही है। वित्त वर्ष 2014-15 में जो रक्षा बजट 2.29 लाख करोड़ रुपये था, वह वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 6.81 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। यह दिखाता है कि हमारी सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा को कितनी गंभीरता से लेती है। यह सिर्फ हथियारों की खरीद के लिए नहीं, बल्कि अनुसंधान और विकास (R&D) पर भी खर्च किया जा रहा है। मुझे लगता है कि यह निवेश सिर्फ सेना को मजबूत नहीं करता, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी गति देता है, क्योंकि यह पैसा हमारे अपने उद्योगों में लगता है।

स्वदेशी खरीद के लिए विशेष आवंटन: घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहन

सरकार ने एक बहुत ही शानदार कदम उठाया है, जो मुझे बहुत पसंद आया है। उन्होंने अपने पूंजीगत खरीद बजट का एक बड़ा हिस्सा, लगभग 75% (जो करीब 1.11 लाख करोड़ रुपये है), भारतीय कंपनियों से खरीद के लिए आरक्षित कर दिया है। इसका मतलब है कि हमारे अपने देश की कंपनियों को, हमारे अपने इंजीनियरों और कामगारों को ज्यादा से ज्यादा मौके मिलेंगे। यह सिर्फ पैसा खर्च करना नहीं, बल्कि हमारे अपने उद्योग को मजबूत करना है। मुझे तो लगता है कि यह नीति गेम चेंजर साबित हो रही है। इससे हमारे छोटे और मध्यम उद्योगों को भी बहुत फायदा मिल रहा है, जो नई तकनीकें विकसित करने और देश की सुरक्षा में योगदान देने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। यह एक ऐसा कदम है जिससे आत्मनिर्भरता का सपना सच हो रहा है।

भविष्य की रक्षा प्रौद्योगिकी: नवाचार और तैयारी

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स: युद्ध का बदलता चेहरा

आज की दुनिया में तकनीक कितनी तेज़ी से बदल रही है, है ना? मुझे यह जानकर बहुत सुकून मिलता है कि हमारी सेना और वैज्ञानिक भी इस दौड़ में पीछे नहीं हैं। वे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और रोबोटिक्स जैसी नई तकनीकों पर खूब काम कर रहे हैं। सोचिए, 2027 तक भारतीय सेना को उन्नत रोबोटिक सैनिकों से लैस करने की योजना है!

यह सिर्फ sci-fi फिल्मों की बात नहीं, यह हमारी हकीकत बन रही है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान AI-संचालित निगरानी रोबोट और स्काईस्ट्राइकर लोइटरिंग म्यूनिशन का इस्तेमाल इसके बेहतरीन उदाहरण हैं। मुझे तो लगता है कि ये तकनीकें न केवल युद्ध के मैदान को बदल देंगी, बल्कि हमारे सैनिकों की जान बचाने में भी बहुत मददगार साबित होंगी। यह सिर्फ हथियार नहीं, बल्कि भविष्य की सोच है।

Advertisement

साइबर और अंतरिक्ष सुरक्षा: नए युद्ध क्षेत्र

आजकल युद्ध सिर्फ जमीन या हवा में नहीं लड़े जाते, बल्कि साइबर और अंतरिक्ष में भी लड़े जाते हैं। मुझे खुशी है कि भारत सरकार इस खतरे को पहचानती है और इन क्षेत्रों में भी आत्मनिर्भरता पर जोर दे रही है। हमारे वैज्ञानिक साइबर युद्ध और अंतरिक्ष रक्षा प्रौद्योगिकी में भी लगातार नवाचार कर रहे हैं। ‘डिफेंस स्पेस एजेंसी’ जैसी संस्थाएं इस दिशा में महत्वपूर्ण काम कर रही हैं। मेरा मानना है कि डिजिटल युग में, हमारी ऑनलाइन दुनिया और अंतरिक्ष संपत्तियों की सुरक्षा उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी हमारी सीमाओं की। यह सिर्फ सेना का काम नहीं, बल्कि हम सब का काम है कि हम अपनी डिजिटल दुनिया को सुरक्षित रखें।

रक्षा में आत्मनिर्भरता: चुनौतियाँ और आगे का रास्ता

पुरानी निर्भरता की बेड़ियाँ तोड़ना: एक सतत प्रयास

मुझे पता है कि आत्मनिर्भरता का रास्ता आसान नहीं होता। कभी-कभी मुझे भी लगता है कि क्या हम सचमुच अपनी आयात निर्भरता को पूरी तरह से खत्म कर पाएंगे? यह एक बड़ी चुनौती है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत 2016-20 की अवधि में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक रहा था। यह दिखाता है कि हमें अभी भी लंबा रास्ता तय करना है। लेकिन मुझे यह भी पता है कि हम सही दिशा में हैं। सरकार ने 509 प्लेटफॉर्म, प्रणालियों और हथियारों की ‘सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची’ जारी की है, जिनका अब अनिवार्य रूप से देश में ही निर्माण किया जाएगा। यह एक बहुत ही साहसिक कदम है और मुझे विश्वास है कि इससे हम अपनी पुरानी निर्भरता की बेड़ियों को तोड़ने में सफल होंगे।

अनुसंधान और विकास में निवेश: भविष्य की तैयारी

एक बात जो मुझे हमेशा महत्वपूर्ण लगती है, वह है अनुसंधान और विकास (R&D) में लगातार निवेश। मुझे लगता है कि जब हम अपने देश में नई तकनीकें विकसित करते हैं, तभी हम सही मायने में आत्मनिर्भर बनते हैं। DRDO जैसी हमारी संस्थाएं बहुत अच्छा काम कर रही हैं, पर हमें उन्हें और भी मजबूत बनाना होगा। ‘अग्निशोध’ जैसी पहल, जिसमें भारतीय सेना IIT मद्रास के साथ मिलकर काम कर रही है, मुझे बहुत उम्मीद देती है। यह दिखाता है कि हमारे पास प्रतिभा की कमी नहीं है, बस हमें उसे सही दिशा देनी है। मेरा मानना है कि R&D में जितना ज्यादा निवेश होगा, उतनी ही तेजी से हम नई और उन्नत प्रौद्योगिकियां विकसित कर पाएंगे और वैश्विक रक्षा बाजार में अपनी पहचान बना पाएंगे।

वर्ष रक्षा उत्पादन (करोड़ रुपये में) रक्षा निर्यात (करोड़ रुपये में) प्रमुख घटनाएँ/उपलब्धियाँ
2014-15 46,429 1,941 ‘मेक इन इंडिया’ पहल की शुरुआत।
2023-24 1,27,000 21,083 घरेलू रक्षा उत्पादन में रिकॉर्ड वृद्धि (174% की वृद्धि)।
2024-25 (अनुमानित) 1,75,000 – 2,00,000 23,622 – 24,000 100 से अधिक देशों को निर्यात, 92% पूंजी खरीद अनुबंध घरेलू फर्मों को।
2029 (लक्ष्य) 3,00,000 50,000 वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र बनने का लक्ष्य।

글을 마치며

तो दोस्तों, जैसा कि आपने देखा, भारत का रक्षा क्षेत्र अब सिर्फ अपनी सुरक्षा के लिए ही नहीं, बल्कि वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बनाने के लिए भी तैयार है। मेरा दिल गर्व से भर जाता है जब मैं सोचता हूँ कि कैसे हमने इतने कम समय में इतनी बड़ी छलांग लगाई है। यह सिर्फ सरकार या सेना का काम नहीं, बल्कि हम सभी भारतीयों का सामूहिक प्रयास है, जो एक मजबूत और सुरक्षित राष्ट्र का सपना देखते हैं। आइए, इस यात्रा में हम सब मिलकर आगे बढ़ें और अपने देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएँ, जहाँ हमारी आत्मनिर्भरता सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि एक सच्चाई हो!

Advertisement

알아두면 쓸모 있는 정보

1. अगर आप रक्षा क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं, तो ‘इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस (iDEX)’ जैसे प्लेटफॉर्म्स पर नज़र रखें, क्योंकि यहाँ स्टार्टअप्स और MSMEs के लिए ढेर सारे अवसर हैं।
2. सरकार की ‘रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (DAP) 2020’ घरेलू खरीद को प्राथमिकता देती है, जिससे भारतीय कंपनियों को बड़े ऑर्डर मिलने लगे हैं और रोज़गार के नए रास्ते खुल रहे हैं।
3. भारत अब 100 से भी ज़्यादा देशों को रक्षा उपकरण निर्यात कर रहा है, इसलिए यदि आप वैश्विक बाज़ारों में रुचि रखते हैं, तो यह एक उभरता हुआ क्षेत्र है जहाँ अपार संभावनाएं हैं।
4. आने वाले समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और रोबोटिक्स जैसी तकनीकों का रक्षा क्षेत्र में बोलबाला रहेगा, इसलिए इन कौशलों को सीखना भविष्य के लिए बेहद फायदेमंद हो सकता है।
5. रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता सिर्फ सैन्य शक्ति नहीं बढ़ाती, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी मज़बूत करती है और कीमती विदेशी मुद्रा की बचत करती है, जो हमारे विकास के लिए बहुत ज़रूरी है।

중요 사항 정리

हमने इस पूरे लेख में देखा कि कैसे भारत ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर एक अविश्वसनीय यात्रा की है। यह सिर्फ आँकड़ों की कहानी नहीं, बल्कि हमारे वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और हर भारतीय नागरिक के दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत की दास्तान है। ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी पहलों ने हमारे रक्षा उत्पादन को रिकॉर्ड स्तर पर पहुँचाया है, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 1.27 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया। इसके साथ ही, हमारा रक्षा निर्यात भी 30 गुना से ज़्यादा बढ़कर 21,083 करोड़ रुपये तक पहुँच गया है, जिससे हम अब एक विश्वसनीय वैश्विक रक्षा साझेदार बन गए हैं। निजी क्षेत्र की भागीदारी में वृद्धि और ‘iDEX’ जैसी योजनाओं ने नवाचार को बढ़ावा दिया है, जिससे युवाओं के लिए असीमित अवसर पैदा हुए हैं और नए स्टार्टअप्स को पंख लगे हैं।

सरकार ने 2029 तक 3 लाख करोड़ रुपये के उत्पादन और 50,000 करोड़ रुपये के निर्यात का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है, जिसके लिए ठोस नीतियां और बजट आवंटन किए जा रहे हैं। AI, रोबोटिक्स, साइबर और अंतरिक्ष सुरक्षा जैसी भविष्य की तकनीकों पर भी हमारा ध्यान केंद्रित है, जो हमें कल के युद्धों के लिए तैयार कर रहे हैं। यद्यपि आयात निर्भरता को पूरी तरह खत्म करना एक चुनौती है, फिर भी ‘सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची’ जैसे कदम सही दिशा में उठाए गए हैं, जो घरेलू उद्योगों को एक मजबूत आधार प्रदान कर रहे हैं। यह सब मिलकर एक ऐसे भारत का निर्माण कर रहा है, जो न केवल अपनी रक्षा करने में सक्षम है, बल्कि दुनिया को भी सुरक्षा समाधान प्रदान कर रहा है, जिससे हमारी अर्थव्यवस्था को भी नई गति मिल रही है और लाखों लोगों को सम्मानजनक रोज़गार मिल रहे हैं। यह सिर्फ एक बदलाव नहीं, बल्कि एक क्रांति है जो हमें सशक्त और समृद्ध बना रही है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) 📖

प्र: भारत के रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल की सबसे बड़ी उपलब्धियां क्या हैं?

उ: मेरे प्यारे दोस्तों, जब हम ‘आत्मनिर्भर भारत’ की बात करते हैं, तो मेरा दिल गर्व से भर जाता है! सबसे बड़ी उपलब्धि तो यही है कि हम अब पहले की तरह दूसरे देशों पर निर्भर नहीं हैं.
सोचिए, एक समय था जब हम अपनी 65-70% रक्षा जरूरतों के लिए बाहर देखते थे, लेकिन आज मेरा देश 65% से ज़्यादा रक्षा उपकरण खुद बना रहा है! यह कोई छोटी बात नहीं है.
अगर आंकड़ों की बात करें, तो 2023-24 में हमारा घरेलू रक्षा उत्पादन रिकॉर्ड 1.27 लाख करोड़ रुपये तक पहुँच गया है, जो 2014-15 से 174% की शानदार वृद्धि है.
और जानते हैं, निर्यात में तो हमने कमाल ही कर दिया है! 2013-14 के 686 करोड़ रुपये से बढ़कर 2023-24 में 21,083 करोड़ रुपये से ज़्यादा का निर्यात, यानी एक दशक में 30 गुना से भी ज़्यादा की बढ़ोतरी!
मुझे याद है कि कैसे पहले हम छोटे-छोटे पार्ट्स के लिए भी विदेशी कंपनियों का मुंह ताकते थे, पर अब तो हम 100 से ज़्यादा देशों को अपने रक्षा उत्पाद बेच रहे हैं, जिनमें अमेरिका, फ्रांस और आर्मेनिया जैसे देश भी शामिल हैं!
यह दिखाता है कि हमने सिर्फ मात्रा में ही नहीं, गुणवत्ता में भी दुनिया को अपनी पहचान दिलाई है.

प्र: ‘मेक इन इंडिया’ के तहत भारत ने कौन-कौन से प्रमुख रक्षा उपकरण और प्रौद्योगिकियां स्वदेशी रूप से विकसित की हैं?

उ: अरे वाह, यह तो मेरा पसंदीदा सवाल है! ‘मेक इन इंडिया’ ने तो हमारे वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को सचमुच पंख दे दिए हैं. मैंने अपनी आंखों से देखा है कि कैसे हमारे देश में एक से बढ़कर एक अत्याधुनिक रक्षा उपकरण बनाए जा रहे हैं.
सबसे पहले तो हमारा अपना हल्का लड़ाकू विमान (LCA) तेजस आता है, जो वाकई में एक गौरव है! फिर हमारा मुख्य युद्धक टैंक (MBT) अर्जुन है, जो हमारी जमीनी सेना की शान है.
आर्टिलरी गन सिस्टम में धनुष और एडवांस टोएड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) का जिक्र न करूं तो अन्याय होगा, इनकी मारक क्षमता गजब की है. और हमारी नौसेना का तो क्या कहना!
भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत, जिसने समुद्री शक्ति में हमें एक नई पहचान दी है, इसके साथ ही पनडुब्बियां, फ्रिगेट और कोरवेट भी अब हम खुद बना रहे हैं.
आकाश मिसाइल सिस्टम और स्वाति वेपन लोकेटिंग रडार जैसी तकनीकें भी स्वदेशीकरण का अद्भुत उदाहरण हैं. यह सब देखकर मुझे लगता है कि हमारा देश अब किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है!

प्र: रक्षा क्षेत्र में भारत के आत्मनिर्भर बनने से देश और अर्थव्यवस्था को क्या लाभ मिल रहे हैं और भविष्य के क्या लक्ष्य हैं?

उ: देखिए, आत्मनिर्भरता केवल हथियारों तक सीमित नहीं है, यह तो हमारे देश की नस-नस में समा चुकी है! मैंने खुद महसूस किया है कि इसके फायदे हर तरफ दिख रहे हैं.
सबसे बड़ा फायदा तो हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को हुआ है. अब हम किसी भी बाहरी दबाव या सप्लाई चेन की रुकावटों से बेफिक्र होकर अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं.
दूसरा, हमारी अर्थव्यवस्था को जबरदस्त बूस्ट मिला है. ‘मेक इन इंडिया’ ने लाखों युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर खोले हैं, खासकर छोटे और मझोले उद्योगों (MSMEs) को बड़ा सहारा मिला है, जो इस उत्पादन में अहम भूमिका निभा रहे हैं.
मैंने देखा है कि कैसे नए-नए स्टार्टअप रक्षा नवाचार (iDEX) से जुड़कर नई तकनीकें विकसित कर रहे हैं. इससे न सिर्फ कौशल विकास हो रहा है, बल्कि हमारे देश का औद्योगिक आधार भी मजबूत हो रहा है.
भविष्य के लक्ष्यों की बात करूं तो, हमने 2029 तक रक्षा उत्पादन को 3 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है, और निर्यात को भी 50,000 करोड़ रुपये तक ले जाने का सपना है.
मुझे पूरा यकीन है कि हम इन लक्ष्यों को हासिल करके भारत को सचमुच एक वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र और एक भरोसेमंद वैश्विक भागीदार के रूप में स्थापित कर पाएंगे.
मेरा मानना है कि यह सफर हमें और भी मजबूत और समृद्ध बनाएगा!

📚 संदर्भ

Advertisement